बच्चों में भी हो रही है अर्थराइटिस की बीमारी
बूढो की बीमारी अब बच्चों में अर्थराइटिस (गठिया) की बीमारी अब छोटे बच्चों और युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रही है। डॉक्टरों के अनुसार 250 में से एक बच्चा आर्थराइटिस की बीमारी से जूझ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार 6 माह के बच्चे में भी अर्थराइटिस की बीमारी देखी गई है।

बच्चे को सुबह उठते ही जोड़ों में दर्द और अकड़न की शिकायत होने पर माता-पिता को इसे गंभीरता से लेना होगा। 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाए जाने वाला क्रॉनिक अर्थराइटिस का एक प्रकार है।
जो 1000 बच्चों में से 1 बच्चे को हो सकता है। समय रहते उपचार के अभाव में बच्चे को बीमारी स्थाई रूप से घेर सकती है।
डॉक्टरों के अनुसार बच्चों के जोड़ों में दर्द या सूजन होना हाथ पैरों में अकड़न आना थकान एवं बुखार तथा बिना किसी वजह के शरीर का वजन घटना अर्थराइटिस का कारण हो सकता है।

चिकित्सकों का कहना है कि
अर्थराइटिस के खतरे को कम करने के लिए बच्चों की दैनिक दिनचर्या पर ध्यान देनाबहुत जरूरी है। भोजन में विटामिन और खनिज युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार जेआइए एक ऐसी ऑटोइम्यून बीमारी है। जो शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगता है। हड्डियों के विकास में बाधा उत्पन्न करता है। बच्चों के हाथों पैरों घुटने और कमर के जोड़ों में दर्द आदि की शिकायत शुरू हो जाती है।